The Definitive Guide to best hindi story

सलीम जब उस बच्चे को लेकर जाने लगा बकरी समझ गई। उसके बच्चे को यह लोग ले जा रहे हैं।

जैसे ही उसने पिंजरा खोला, बाघ उस आदमी पर झपट पड़ा। भूखे बाघ ने ब्राह्मण को खाने से पहले तीन सवाल पूछने का मौका दिया। ब्राह्मण ने एक सवाल पीपल के पेड़ से, एक भैंस से और आखिरी सवाल सड़क से पूछा। सभी उत्तरों से निराश होकर वह वापस जा रहा था। तभी उसकी मुलाकात एक सियार से हुई। जानिए कैसे चतुर सियार ने ब्राह्मण को भूखे बाघ से बचाने के लिए बाघ के सामने गूंगे और मूर्खों वाला काम किया।

यह इंसान के शरीर में दिल के धड़कने और उसके जीवित रहे आने की कहानी है.

आधुनिक बनने का प्रदर्शन करते शहरी मध्यवर्गीय परिवार के करियरिज़्म पर एक तीखी टिप्पणी की तरह है यह एक और अविस्मरणीय कहानी.

एक सेक्स वर्कर की कहानी- 'मेरे पहुंचने से पहले वो ड्रग्स ले रहे थे, मुझे लगा मैं बच नहीं पाऊंगी'

सियार सीधा राजा के पास गया और वहां जा के सियार ने किसान के बारे में राजा को सब बताया। राजा बहुत दिन से अपने खेतों के लिए एक ऐसा ही मेहनती किसान ढूंढ रहा था और उसने सियार से किसान को राजमहल लाने को कहा।

In this particular novel, a young boy Bunti appears to be like within the developed-up globe of his family by way of his youngster eyes and wounded eyes. But no matter if this novel is about Bunti or his mom Shakun is usually a bone of contention. Shakun’s ambitions and self-worth for check here herself is usually a problem for that household, eventually bringing about her separation from her partner. During this conflict concerning a partner a wife, it is actually Bunti who suffers quite possibly the most. The novel is very acclaimed and praised for its idea of little one psychology.

संत से कहा – आप जानते हैं बिच्छू का स्वभाव नुकसान पहुंचाने का होता है।

धत्! कल हो गई. देखते नहीं. रेशमी बूटों वाला सालू...?"

दोनों में भयंकर युद्ध हुआ पर अंत में सब धरती वासियों ने इतनी जोर से नगाड़े और ढोल बजाये की मेंढक डर कर भाग गया और का-संगी जीत गई।  इसीलिए आज भी उस प्रजाति के लोग सूर्य ग्रहण पर ढोल नगाड़े बजा कर सूर्य की मदद करते हैं।  

एक दिन जब रामकृष्ण परमहंस गांव लौट कर आए।

सबसे पहले हम अपने पाठकगण से यह कह देना आवश्यक समझते हैं कि ये महाशय जिनकी चिट्ठी हम आज प्रकाशित करते हैं रत्नधाम नामक नगर के सुयोग्य निवासियों में से थे। इनको वहाँ वाले हंसपाल कहकर पुकारा करते थे। ये बिचारे मध्यम श्रेणी के मनुष्य थे। आय से व्यय अधिक केशवप्रसाद सिंह

इसके अलावा रघुवीर सहाय, कुँवर नारायण, श्रीकांत वर्मा ने भी भाषा, बनावट, कथावस्तु, जीवनानुभवों की इतनी अलग और अनमोल कहानियाँ लिखी हैं जिन्हें भुलाया नहीं जा सकता.

मोरल – सच्ची मित्रता सदैव काम आती है ,जीवन में सच्चे मित्र का होना आवश्यक है।

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